" नीयती "
हम फिर कभी नहीं मिलेंगे क्या??शायद नहीं.... आँखों में आँसू और भरे हुए आवाज़ के साथ खुद को संभालते हुए राजीव बस इतना ही कह पाया रश्मि से । एक लड़के से एक लड़की क्या उम्मीद करती है, हर किसी के लिए उम्मीद अलग अलग मायने रखता है, और यहाँ उम्मीद के नाम पर सिर्फ एक दूसरे के साथ थोड़ा सा वक़्त बिताने की लड़ाई चल रही थी। जिस इंसान के साथ आप बिना थके एक लंबा सफर तय कर सकते हैं, फिर वही इंसान अचानक से ये बोले की हमे अलग हो जाना चाहिए हमारा सफ़र यही तक था! ये कोई सदमें से कम नहीं होता है उस सामने वाले इंसान के लिए ये सुनना जो कभी उसने सोचा भी नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बिना हथियार के हड्डियां तोड़ रहा हो... एक ऐसा एहसास जिसे दो लोग 6 साल से जी रहे थे आज अचानक इस तरह मुह क्यों मोड़ रहे हैं? उस इंसान से दूर जाना चाहते हैं जिसे कभी सपने मे भी अलग नहीं होना चाहते थे! एहसास कुछ इस तरह था दोनों के बीच की ईश्वर से भी लड़ सकते थे ।एक दूसरे के लिए मगर मजबूर इतने की आँख भर के देखने की ज़िद तक नही कर सकते थे। कहने को तो बात हों जाया करती थी कभी कभी वो भी बेरुखी भाव से और मिलने के नाम पर हफ्ते मे एक दिन रास्ते के मोड़ पर दस कदम दूर से देख लिया करते थे दूरी सिर्फ दस कदम की होती थी मगर सुकून बेहिसाब मिलता था। इंतज़ार दोनों तरफ से होती थी और वो भी बेहद की दूरी भले दस कदम की है पर देख के तसल्ली तो हो जाती थी। ज़िद इतना की बात करना बंद हुआ तो न वो सर झुकायेगा और न ये मनाएगी। मगर प्यार इतना की एक दिन आवाज़ न सुने तो संसार तबाह कर देते हैं। पर एक दूसरे के सामने आते ही अजनबी जैसा देखते रहते हैं एक दूसरे को, क्या होगा इस रिश्ते का भविष्य,,जहाँ साथ रहना भी नहीँ हैं और उसके बिना सासँ भी नहीं लिया जाता हैं।
कहते हैं जिंदगी के सफर को तय करने के लिए दोनों पहियों का समान होना ज़रूरी है। पर यहाँ तो दोनों पहिए एक उगता हुआ सूरज था और दूसरा ढलता हुआ शाम। एक सुबह की चंचल किरणें थी तो दूसरा बिहड़ जैसा कठोर दोपहर था। और वो कठोर हो भी क्यों न जिंदगी के सारे उतार चढ़ाव देखें थे राजीव ने रिश्ते- नाते, घर -परिवार और अकेले रहना एक आदमी के लिए सबसे मुश्किल भरा दौर होता है, और राजीव ये सब कुछ अकेले सहते आया है अकेलेपन और जीवन के कुछ उसूलों ने उसे अन्दर से इतना तोड़ के रख दिया था की वो चाह के भी किसी को अपना नही सकता था। हमेशा चेहरे पे एक मुस्कान लिए अपने बेमर्ज़ी की जिंदगी को इस तरह जी रहे थे की मरना भी है और जीने के लिए लड़ना भी हैं। न किसी से ज्यादा बोलना न घूमना फ़िरना बस जितना ज़रूरी हैं उतना ही बोलना किसी से और अपने मे ही रहना । घर की समस्या एक तरफ़ और ख़ुद से जंग एक तरफ चल रहा है। इंसान सच मे मृत आत्मा तब हो जाता हैं जब जीने की चाह खत्म हो जाये और मुस्कुरा के जीना पड़ता है। अपने लिये न सही पर अपने घर परिवार के लिए। हालत ऐसी थी कि कोई पूछता हैं राजीव कैसे हो तो मुस्कुरा के कह देते हैं ईश्वर ने अच्छा रखा है अच्छे ही हैं, मगर अन्दर से मन रोने को आता है की शायद कोई होता जिसे सच बता पाते की जीने का मन नही करता अब। कुछ इस तरह राजीव अपने आप को संभाल लिया करता है न जाने क्या क्या सोच के खुद को इतना तकलीफ देता है और कुसुर उसका भी नहीं हैं एक हँसती खेलती जिंदगी मुरझा सी गई हैं चंद लम्हों की यारी में।।।।।
शांत स्वभाव का एक लड़का जब गंभीर हों जाता है तब कोई खूबसूरत शहर या कीमती चीजें उसे खुश नही कर सकता है। न जाने वो कौन खुशनसीब थी जिसने खिलते हुए चेहरे को बेजान बना दिया है और इस तरह दुनियाँ से खफा कर दिया हैं अब सच भी झुट लगने लगा है उसे। आखिर ऐसा क्या कह गई थी वो जो शब्द आज भी जिंदा है राजीव मे। जहाँ उसका बिता हुआ अतीत आने वाले कल पे हावी हो रहा था, किसी को पलकों पे रखने वाला इंसान आज ख़ुद से ही इतनी नफरत करने लगा है। अगर कोई राजीव के आस पास आना भी चाहा तो पहले से उसकी खामियां गिना देता था, कहते हैं न जो नसीब मे नहीं वो ईश्वर भी नहीं दे सकते हैं और जो नियति मे है वो न चाहते हुए भी होके रहता है। अपने आप से ही हारा इंसान किसी और से क्या उम्मीद करता उसे तो अब ईश्वर मे भी दोष दिखाई दे रहा था। नियती के साथ इस लड़ाई के बीच राजीव की मुलाकात उस अनजाने सुकून से हुई जिसे वो जीने के लिए ढूंढ रहा था। ये किरदार राजीव के सोच से बिल्कुल अलग थी, परेशानियां , दुख, तकलीफ ये सब सिर्फ कहानियों में हुआ करती थीं उसके लिए। रश्मि को जिंदगी अपने तरीके से जीना पसन्द था । आपने हंस के बात किया तो ठीक वरना अपनी बेतुकी बातो से आपको भी हंसा देगी। उसे परवाह बस अपने घर वालो की होती थी, स्वभाव ऐसा की किसी को अपना कह दे तो जान भी दे दे उनके लिए और गुस्सा इतना की एक बार बिगड़ गई फिर मुड़ के भी न देखे आपको ।। अनजान से शहर में पता नहीं क्यों कोई उसे अपना सा लगा। अब आने वाले तूफान की खबर न रश्मि को थी और न राजीव वाकिव था इस होने वाले हादसे से।।
किसी की बेरुखी उसे ये सोचने पर मजबूर कर दी की इंसान इतना कैसे रूठ सकता है खुद से.... अपने सवालों के जवाब के लिए रश्मि नित्य किसी बहाने से राजीव से टकराने लगी। पर जैसे राजीव को एहसास हुआ की नित्य किसी एक इंसान से रूबरू होना कोई इत्तेफाक नहीं बल्कि सोची समझी साजिश है , राजीव अपने अतीत को नही बदल सकता था इसलिए उसने अपने दैनिक आने जाने का रास्ता ही बदल दिया। मगर राजीव को ये नहीं पता था कि उसका सामने अब एक ऐसी लड़की थी जो सिर्फ अपने मुस्कान से जग जीत लेती है नियती भी शायद यही चाहती थी पर राजीव को ये मंजूर नहीं था।मगर किस्मत का लिखा कौन बदल सकता है।एक शाम दुर्भाग्यवश रश्मि का एक्सीडेंट हो गया और अनजाने मे ही सही पर रश्मि को राजीव के हॉस्पिटल लाया गया इलाज के लिए। रात से सुबह हो गई मगर एक डॉक्टर और मरीज के बीच सिर्फ इतनी बात हुई थी - अब कैसा लग रहा है? रश्मि जवाब मे बोली "लिटिल बेटर डॉक्टर"। इत्तेफाक से ही सही बातें तो शुरू हुई । कुछ दिनों बाद रश्मि चेक अप के लिए आई, राजीव अभी भी अपने अतीत के बंधन में बंधा था। न किसी की हँसी समझ आती न खुद का गम। जबरदस्ती रश्मि थोड़ा बात करती वो भी सिर्फ हाँ या ना मे जवाब होता था। और यही हाँ और ना रश्मि के मन में सवालों का पहाड़ खड़ा कर रहा था । दिन बिताता गया कठोर निर्दयी पत्थर जैसा दिल थोड़ा पिघला ही था की फिर से वही अतीत ने फिर दस्तक दे दी राजीव के मन में। गिनती के 6 साल हो गए थे रश्मि के एक्सीडेंट को मगर चेक अप आज भी उसी दर्द का करवा रही है जो उसने राजीव के आखों मे देखा था। मुलाकात के नाम पर राजीव रश्मि को हॉस्पिटल से बाहर तक छोड़ने आया करता था, और बात बस इतनी होती थी की - ओक डॉक्टर फिर मिलते हैं। और राजीव सिर्फ हम्म मे जवाब दे दिया करता था। समझने वालो के लिए हम्म का मतलब न जाने कितने शब्दों का एक भंडार था, जिसे आज तक न किसी ने पकडा और न किसी ने समझा था सिवाय राजीव के घर वालो ने और रश्मि के। 6 साल का सफ़र कुछ इस तरह बीता जैसे कल की बात हैं , रास्ते के उस मोड़ पर एक दूसरे का इंतजार करना शायद अब इनकी नियती में नहीं था।ये शायद दोनो की आखरी मुलकात थी। 6 साल लगे रश्मि को ये कहने में की बाहर चले थोड़ा खुली हवा में।और शायद राजीव भी कही न कही यही चाहता था मगर जैसे ही वो एक कदम अपनी आगे बढ़ान का सोचता है उसका अतीत उसे चार कदम पीछे ले जाता हैं।नियती का लिखा था दोनो को मिलना तय था भले ही हमेशा के लिए बिछड़ने वाले थे दोनो पर हिम्मत करके रास्ते के एक किनारे से दोनो धीमे कदमों से आगे बढ़ ही रहे थे की राजीव ने गंभीर स्वर में बोला_ देखो रश्मि अब तुम ना यहां कभी चैक अप के लिए आओगी और न कभी मुझसे मिलने की कोशिश करोगी।
रश्मि स्तबध सी हो गई की क्या बोलना था और तुम क्या बोल गए, रश्मि फिर भी अपनी कोशिश जारी रखी और नम शब्दों में बोली क्या हुआ राजीव कोई बात हैं तुम मुझे बता सकते हो! हम साथ मिलके सब ठीक कर सकते हैं!!! राजीव रश्मि के आगे हाथ जोड़ कर कहा कि तुम बस दया करो मुझ पर - मैं जैसा हूं मुझे वैसे ही रहने दो मुझेसे दूर चली जाओ। रश्मि बस इतना ही पुंछ पाई अपने आंसू भरी आंखों की साथ की " हम फिर कभी नहीं मिलेंगे क्या"?? और राजीव ने जवाब में सिर्फ इतना ही बोला "शायद नहीं"।।।।।