"आशा" - Aasha - hindi motivational story- हिंदी कहानी -

                     "आशा " 



     शाम का वक्त हो रहा था नीला आसमान मानो जैसे किसी चित्रकार की उकेरी हुई एक तस्वीर लग रही थी, जहां काले अंधेरे रंग में नारंगी की लालिमा घुल रही थीं । जैसे कि ये शाम शायद थोड़ी देर और रुकना चाहती हो मगर अंधेरा अपना सम्राज्य स्थापित करने को आमादा हैं। दूर कही से शंख की आवाज सुनाई दे रही थी,दिन भर की तपती धूप के बाद ये राहत भरी शाम न जाने कितनी ही कहानियां कह रही थी। संसार से विरक्त मन फिर भी संसार के इन्हीं रंगों में कही न कही फिर से रम जाती हैं, मगर स्वयं से विरक्त मन केवल एकांत खोजता है। जो इस संसार के मोह ओर सवालों से दूर कही स्वयं से ही अपने आप से युद्ध लड़ रहा होता हैं। इसी उधेड़बुन में ये शाम न जाने कितने सवालों के जवाब दे गया है, दूर कही से आती उस शंख की आवाज में ज्यादा कुछ था नहीं मगर बिना शब्दों के ही वह शायद उस परमात्मा के होने का एहसास करा गया है। ऐसा लग रहा था कि मानो कोई कही दूर से कह रहा हो कि कुछ देर सिर्फ इन्हीं लम्हों को जी लो , ये जो लालिमा आसमान में बिखेरी है उस चित्रकार ने उसे अपने आंखों में समा लो ताकि फिर कभी एकांत में बैठ के इन लम्हों को बुन सको। तपती धूप के बाद ये ठंडी मीठी सी छांव और ये हवा के झोंके शायद ये एहसास करा रही हैं कि ज़िन्दगी अभी बाकी हैं जिसे जीना है, उस लम्हे में ठहर जाना भी शायद किसी सवाल का अनजाना जवाब था , या शायद वो जवाब जो आज तक सुनाई ही नहीं दिया  या शायद हमने सुनने की कोशिश नहीं की क्यूं कि हमारा सारा ध्यान सवालों में अटका था , और जब तक सवालों में उलझे रहेंगे तब तक जवाब की उम्मीद नहीं कर सकते । वो टूटी सी तख्ती जिसपे बैठ कर ये सारा आकलन किया जा रहा था न जाने उस तख्ती पर बैठ कर कितने ने अपने मन के युद्ध को परास्त किया होगा ।एक शाम हो बिना शब्दों के इतनी गहरी छाप छोड़ गई है, जो कल तक अपने आप से इतनी नाराज थी आज उसे उस चित्रकार के चित्र में कही अपनी जीने की उम्मीद दिखी है। और आशा करती हूं कि जो भी अपने परिस्थित से जूझ कर उस तख्ती पर जाके बैठे और वो शाम वो शंख और वो परमात्मा के होने का एहसास उन्हें भी किसी ज़िन्दगी की उम्मीद दे जाएं।

    

                                               ✒️ लिली