लिए बैठी हूँ
ये जो चहरे पर
हँसी लिए बैठी हूँ।
कुछ पाने की चाह में
सब कुछ गवां बैठी हूँ,
मुझसे मेरे गम की हद
न पूछे कोई ...
बिखरने की इजाज़त
नहीं थी इसलिए
चेहरे पर हँसी लिए बैठी हूँ ।
रौशन ज़माने से खफा
नहीं मगर
ख्वाहिशों के ढेर
को स्वाहा करके ...
लिवास सफ़ेद पहनी हूं ।
समेटने का मन नहीं
अब इस ज़िन्दगी को,
इसलिए मुस्कान का सहारा
लिए बैठी हूँ ।