Hindi poetry | सबेरा हो जाता हैं। हिंदी कविता

             "सबेरा हो जाता है

हर रात तेरे यादों की किताब ले बैठती हूँ 

फिर न जाने कब सबेरा हो जाता हैं।

एक अरसा हुआ तुझे देखे बिना

एक जमाना बीता मुस्कुराएं बिना 

न जाने कैसे मौसम बदल जाता हैं ।।

ये जो जी रहे है ...

ख़्वाब और हकीकत के बीच का फासला है,

तेरे होके भी तेरे न हुए...

ये कैसा फैसला है।।

इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ते-ढूंढ़ते 

फिर अंधेरा हो आता हैं।

मैं फिर ले बैठती हूं तेरे यादों की किताब                                                                      न जाने कब सबेरा हो जाता हैं।।

                                                   ✍🏻 लिली...