Hindi Kavita | "बाग खिलाया है" | हिंदी कविता..... Poetry in hindi


Hindi Kavita -: 

          बाग खिलाया


ख्वाहिशों के कब्र पर कालीन बिछा के बाग खिलाया है। 

बंद कमरे मे आँखे नम करके, 

महफ़िलों मे ख़ुद को खूब हँसाया हैं।

न जाने क्या पाने की ज़िद में खुद को खो दिया हैं मैंने,

रौशन ज़माने के आदतों से परहेज कर लिया है।

रौशनी के आदि थे कभी, 

अब तो अंधेरो से नाता जोड़ लिया है। 

उदास शामें किसी नये सबेरे की उम्मीद दे जाती हैं,

कुछ इस तरह ख़ुद को संभाल रखा है।। 

खैर... वो कब्र नहीं दिल हैं मेरा, 

जहाँ ख्वाहिशों को दफना के बाग खिलाया है।।।

                                                           

                                                              ✒️ लिली